प्राथमिक व माध्यमिक स्तर पर गणित शिक्षण के लक्ष्य उद्देश्य

 गणित शिक्षण के लक्ष्य (Aims of Teaching Mathematics)

गणित शिक्षण के प्रमुख लक्ष्य निम्नलिखित हैं-

1. व्यावहारिक लक्ष्य (Practical Aims) – मनुष्य के विवेक तथा चिन्तन के स्वस्थ विकास से एक स्थिर समाज की रचना होती है। गणित रोजी-रोटी कमाने में सहायता के अतिरिक्त ऐसे समाज की रचना करने में सहायता करता है। उपयोगिता की दृष्टि से गणित इन्जीनियरिंग, भौतिकी, अर्थशास्त्र, भूगोल व अन्तरिक्ष विज्ञान आदि में प्रत्यक्ष काम आता है। व्यवसाय तथा वाणिज्य की प्रगति का आधार भी गणित ही है। अनेक क्षेत्रों में खोज व अनुसन्धान, सर्वेक्षण तथा आँकड़ों से निष्कर्ष निकालने का कार्य गणित द्वारा ही सम्भव होता है।

2. अनुशासनात्मक लक्ष्य (Disciplinary Aims) –गणित व्यक्ति में आदतों तथा क्षमताओं का विकास करता है। सादगी परिणामों की निश्चितता, मौलिकता, समन्वय तथा अन्य विषयों से सम्बन्ध की स्थापना अनुशासन के ही गुण हैं। गणित इन सबका सन्तुलित विकास करता है। गणित की समस्यायें हमारे जीवन की समस्याओं से बिल्कुल मिलती-जुलती होती हैं।

3. सांस्कृतिक एवं नैतिक लक्ष्य (Cultural and Moral Aims)- अनेक शिक्षाविद् आज इस मान्यता से सहमत हैं कि गणित शिक्षण का सांस्कृतिक एवं नैतिक महत्त्व भी है। गणित अप्रत्यक्ष रूप से छात्रों में स्वस्थ आदतों का विकास करता है। नागरिकों में शुद्ध सांस्कृतिक मूल्यों की स्थापना के लिए तर्क शक्ति तथा निर्णय शक्ति का विकास आवश्यक है। इन शक्तियों का गणित से निकट का सम्बन्ध है। अतः गणित शिक्षण के पीछे यह लक्ष्य निहित होता है कि विषय के ज्ञान के साथ-साथ छात्र समाज के सभ्य नागरिक बनें तथा उसे अधिक सुखी बनाने में सहायता कर सकें।

गणित शिक्षण के उद्देश्य (Objectives of Teaching Mathematics)

गणित शिक्षण के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

(i) छात्र को नवीनतम ज्ञान व खोजों से अवगत कराना।

(ii) छात्र में अन्तर्निहित गुणों तथा योग्यताओं का विकास करना ।

(iii) छात्र को सौन्दर्य तथा आनन्द की अनुभूति प्रदान करना तथा खाली क्षणों का उपयोग करना सिखाना।

(iv) छात्र को ज्ञान, सूझ-बूझ, रुचियाँ तथा कलाओं आदि से सुसज्जित करना

(v) छात्र को समाज के लिए उपयोगी नागरिक के रूप में तैयार करना।

प्राप्य उद्देश्य का अर्थ (Meaning of Objectives)

प्राप्य उद्देश्य किसी कार्य के वे अन्तिम बिन्दु हैं, जिन्हें एक अध्यापक सीमित समय में प्राप्त करना चाहता है एवं जिसके लिए उसकी समस्त कार्य प्रणाली उसी ओर (अन्तिम बिन्दु) निर्देशित होती रहती है।

गणित शिक्षण के प्राप्य उद्देश्य (Objectives of Teaching Mathematics)

उद्देश्य तथा प्राप्य उद्देश्य एक-दूसरे से निकटतः सम्बन्धित होते हैं, यद्यपि ये दोनों अलग-अलग होते हैं। उद्देश्य का लक्ष्य वह है, जो हम किसी विषय के अध्ययन से प्राप्त करना चाहते हैं। लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये हम जो मार्ग अपनाते हैं, वह प्राप्य उद्देश्य कहलाता है। उद्देश्य का क्षेत्र विस्तृत तथा व्यापक होता है। इसकी प्राप्ति के लिए छात्र ही नहीं, वरन् अध्यापक, विद्यालय तथा समाज सभी मिलकर प्रयत्न करते हैं। उद्देश्य हमेशा आदर्शों पर आधारित होते हैं, जिन्हें पूरी तरह तो किसी भी ढंग से प्राप्त नहीं किया जा सकता।


प्राप्य उद्देश्य छोटे अर्थों में लिए जाते हैं तथा शिक्षक और विद्यार्थी के प्रयलों द्वारा इन्हें प्राप्त किया जाता है। समय-समय पर इनकी प्राप्ति की जाँच परीक्षाओं आदि से कर ली जाती है। प्राथमिक तथा माध्यमिक स्तर पर गणित शिक्षण के अलग-अलग प्राप्य उद्देश्य होते हैं।


प्राथमिक स्तर पर गणित शिक्षण के उद्देश्य (Objectives of Teaching Mathematics at Primary Level)

1. विद्यार्थी में सतर्कता, दक्षता तथा गणितशीलता लाने की आदत पैदा करना ।


2. दैनिक जीवन में इन क्षमताओं का अनुप्रयोग करना।


प्राथमिक स्तर पर गणित शिक्षण के प्राप्य उद्देश्य (Objectives at Teaching Mathematics at Primary Level)

 इस स्तर पर छात्र पढ़ने, लिखने व गिनने की कलायें सीखता है।

माप-तोल की इकाइयों तथा उनके व्यावहारिक उपयोग को सीखना ।

मौखिक व लिखित गणनाओं में समुचित दक्षता प्राप्त करना ।

अंकों व शून्य का प्रयोग सीखना।

साधारण गणनायें करना, तुलना करना तथा समस्याओं को समझना।

जोड़, घटाना, गुणा, भाग आदि मौलिक नियमों की जानकारी प्राप्त करना ।

साधारण व दशमलव भिन्नों का ज्ञान प्राप्त करना उचित व अनुचित भिन्नों का अन्तर जानना।

माध्यमिक स्तर पर गणित शिक्षण के उद्देश्य (Aims of Teaching Mathematics at Secondary Level)

1. विद्यार्थी ने चारों ओर के वातावरण में गणित की उपयोगिता को समझाना।

2. विद्यार्थी को अपनी क्षमताओं तथा कमियों को अनुभव करने देना ताकि वह भविष्य में अपने व्यवसाय या शिक्षा के सम्बन्ध में सही निर्णय ले सकें।

3. छात्र को दैनिक जीवन से सम्बन्धित, गणित से सम्बन्धित तथा ज्ञान के अन्य क्षेत्रों से सम्बन्धित गणित का ज्ञान कराना ।

माध्यमिक स्तर पर गणित शिक्षण के प्राप्य उद्देश्य (Objectives of Teaching of Mathematics at Secondary Level)

छात्र सांख्यिकीय आँकड़ों के संगठन तथा प्रदर्शन को सीखता है।

छात्र गणना सम्बन्धी दक्षता का विकास करता है।

विद्यालय में प्राप्त ज्ञान दैनिक जीवन में प्रयोग करना ।

आधुनिक व्यवसाय तथा उद्योग में गणित के महत्व को जानना।

छात्र गणित की धारणाओं को समझता है तथा उनका उपयोग करता है।

छात्र गणित की भाषा को समझता है तथा उसका अध्ययन करता है।



गणित शिक्षण के उद्देश्य – विद्यालय में भिन्न-भिन्न विषयों का पाठन होता है, प्रत्येक विषय का अपना अपना अस्तित्व तथा महत्व होता है। इसके साथ ही प्रत्येक विषय को पाठ्यक्रम में रखने का एक ध्येय होता है, विषय का महत्व उसके द्वारा प्राप्त किए जाने वाले उद्देश्यों से जाना जा सकता है। प्रत्येक विषय के अपने उद्देश्य होते हैं। गणित शिक्षण के उद्देश्य अन्य विषयों के उद्देश्यों से बिल्कुल ही अलग है। यदि उनकी पूर्ति हो जाती है तो यह कहा जा सकता है कि अमुक विषय का क्या महत्व है?

प्रत्येक उद्देश्य के अंतर्गत कुछ प्राप्त उद्देश्य आते हैं। विषय पढ़ाने का एक लक्ष्य होता है, जिसकी परीक्षा बालकों के विद्यालय को छोड़ने के पश्चात होती है, जिसको हम लक्ष्य भी कह सकते हैं। गणित शिक्षण के उद्देश्य की प्राप्ति में जिन छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखना पड़ता है उन्हें प्राप्य उद्देश्य कहते हैं।

प्राप्य उद्देश्य को तैयार करने में बहुत होशियारी रखनी पड़ती है, क्योंकि किसी उद्देश्य की पूर्ति तभी संभव है, जब उसके अंतर्गत तैयार प्राप्य उद्देश्यो की तैयारी सही रूप से की गई हो। इनके मुख्य रूप से दो कार्य है –

इनके द्वारा किसी उद्देश्य की पूर्ति होती है।

इनके आधार पर पाठ्यवस्तु से प्रश्न तैयार करके बालकों को क्रिया विधि का ज्ञान होता है।इसका मतलब यह है कि एक विशेष उद्देश्य की पूर्ति प्राप्य उद्देश्यो पर कार्य करने से पाठ्यवस्तु के आधार पर प्राप्त उद्देश्यों की परीक्षा हेतु प्रश्न तैयार कर विद्यार्थियों के व्यवहार की परीक्षा की जाती है। उदाहरण के लिए यह कह सकते हैं यदि किसी प्रश्न के हल करने में बालकों की किसी योग्यता की परीक्षा नहीं होती है तो इस प्रकार के प्रश्नों से किसी उद्देश्य की प्राप्ति नहीं हो सकती है।

गणित शिक्षण के उद्देश्य

अन्य विषयों की भांति गणित को स्कूल में रखना अग्रंकिते उद्देश्यों पर आधारित हैै, गणित शिक्षण के उद्देश्य निम्न हैं –

गणित शिक्षण के सांस्कृतिक उद्देश्य

गणित शिक्षण के अनुशासनिक उद्देश्य

गणित शिक्षण के व्यावहारिक उद्देश्य

1. गणित शिक्षण के सांस्कृतिक उद्देश्य

गणित का एक मुख्य उद्देश्य सांस्कृतिक है। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु गणित पढ़ने वाले विद्यार्थियों में कुछ सामान्य आदतों को बनाना होता है। इसका अभिप्राय यह है कि उक्त विषय को पढ़ने वाले बालकों में कुछ सामान्य आदतों का विकास हो जाता है। गणित ही एक ऐसा विषय है जिस के अध्ययन से बालकों में तर्क शक्ति का विकास सबसे अधिक होता है। गणित शिक्षण के उद्देश्य में कुछ सांस्कृतिक उद्देश्य भी शामिल है। स्कूल में गणित पढ़ाने का मुख्य उद्देश्य बालकों की तर्क शक्ति का विकास होना चाहिए ना कि केवल तथ्यों को याद कराना। केवल गणित का एक अच्छा जानने वाला वही होता है जो दैनिक जीवन में उसके सिद्धांतों का प्रयोग कर सकें।इसीलिए गणित पढ़ाने में तर्कशक्ति के विकास का ध्यान रखना, सूचना प्राप्त की अपेक्षा महत्वपूर्ण होता है। गणित पढ़ाने में विधि अधिक महत्वपूर्ण होती है। गणित में तर्कशक्ति के विकास हेतु उसकी स्पष्टता, शुद्धता, परिणामों की वास्तविकता मूलतः तर्कशक्ति का परिणाम आवश्यक होते हैं।


इस तरह वही व्यक्ति कुशल तथा उसका सामान्य व्यवहार समाज के अनुकूल होता है, जिसका व्यवहार वस्तु के निरीक्षण और तर्क से संबंधित हो। वह इस तरह स्कूल में शिक्षा समाप्त करने पर जब समाज का नागरिक बनता है तो उसके व्यवहार से स्पष्ट हो जाता है कि वह एक अच्छा नागरिक है या नहीं। स्कूल में इस तरह गणित की शिक्षा का एक मुख्य उद्देश्य सांस्कृतिक होता है। आप गणित शिक्षण के उद्देश्य Hindibag पर पढ़ रहे हैं।

2. गणित शिक्षण के अनुशासनिक उद्देश्य

इस उद्देश्य से हमारा अभिप्राय मानसिक अनुशासन से है, गणित के पढ़ने से बालकों में अनुशासन की भावना उत्पन्न होती है। बहुत से मनोवैज्ञानिक का कहना है कि गणित से जिस तर्क शक्ति का विकास होता है उसका क्षेत्र गणित संबंधी समस्याओं तक ही सीमित है। परंतु यह बात असत्य सिद्ध हो चुकी है क्योंकि किसी भी विषय में सीखी बातें तथा सिद्धांतों का प्रयोग सदैव जीवन में होता रहता है।

इसकी पुष्टि स्थानांतरण से होती है, वह विद्यार्थी जो कि एक साधारण कोटि के थे। गणित अभ्यास से एक बुध तथा चतुर विद्यार्थी बन गए हैं। यह इस बात का प्रमाण देता है कि गणित विषय से बालक में किस प्रकार अनुशासन पैदा हो जाता है। इसके अतिरिक्त इस तरह का ज्ञान उसको अन्य विषयों में सहायता प्रदान करता है। इस तरह विद्यार्थी अपने दिन प्रतिदिन के जीवन में एक आवश्यक व्यवहार करता है तथा उसमें अनुशासन की भावना जागृत हो जाती है।

गणित शिक्षण के उद्देश्य में अनुशासन एक विशेष स्थान रखता है।

3. गणित शिक्षण के व्यावहारिक उद्देश्य

गणित का व्यावहारिक उद्देश्य बहुत महत्वपूर्ण है। हमारी आधुनिक सभ्यता के आधार भी गणित ही है। आधुनिक युग विज्ञान का युग है विज्ञान की खोजों के कारण हमारे जीवन पर बड़ा प्रभाव पड़ा है इन खोजों के पीछे गणित के सिद्धांत है बिना गणित के विज्ञान की खोजों में सफलता मिलना असंभव है प्रत्येक व्यावहारिक कार्य में जैसे नापने, तौलने आदि का बोध गणित के ज्ञान द्वारा ही संभव है। इस तरह विज्ञान के अतिरिक्त अन्य विषयों में गणित का प्रमुख हाथ होता है।

हम दैनिक जीवन में मकान बनवाते हैं, कपड़े बनवाते हैं, जूते पहनते हैं, इन सभी कार्यों में गणित का ज्ञान आवश्यक है। एक अनपढ़ किसान भी यह जानता है कि 1 एकड़ भूमि में कितनी खाद पड़ेगी, कितना बीज डाला जाएगा, और कितनी उपज होगी।

एक मजदूर भी अपनी मजदूरी गिनना जानता है। एक रसोईया भी दाल सब्जी में नमक मसाले के अनुपात को जानता है। इस प्रकार प्रत्येक व्यक्ति जीवन में किसी न किसी रूप से गणित का प्रयोग अवश्य करता है। इस हेतु विद्यालयों का यह कर्तव्य होना चाहिए कि वे बालकों में इस तरह की भावनाओं को जागृत करें। जिससे बालक अपने समय का सदुपयोग कर सके इस तरह से बालक अपने अवकाश का अच्छा उपयोग भी कर लेगा तथा गणित सिद्धांतों को भी समझ लेगा।

गणित प्रत्येक व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण विषय है एक व्यापारी को गणित का ज्ञान होना आवश्यक है। वरना वह अपने व्यवसाय में कुशलता प्राप्त नहीं कर सकता। इसी तरह इंजीनियर कारीगर आज सभी लोगों को गणित का ज्ञान होना आवश्यक होता है। गणित शिक्षण के उद्देश्य से विद्यार्थियों के व्यवहार को भी परिवर्तित किया जाता है।

प्रत्येक व्यक्ति को बाजार में वस्तुओं को खरीदना या बेचना पड़ता है यदि उसने का ज्ञान ना होगा। तो वह कुछ कार्य नहीं कर सकता है उपयुक्त उदाहरणों से स्पष्ट हो जाता है। कि विद्यालय तथा उसके बाहर दोनों स्थानों में गणित का ज्ञान होना परम आवश्यक है। इस प्रकार से यह बात का सही ज्ञान होता है कि स्कूल में अन्य विषयों के समान गणित का व्यावहारिक उद्देश्य भी होता है।

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