मानसिक विकास
मानसिक विकास से अभिप्राय मानसिक शक्तियों का विकास या ज्ञान भण्डार में वृद्धि एवं उसके उपयोग से है। मानसिक शक्तियों के उदय तथा वातावरण के प्रति समायोजन की क्षमता का नाम मानसिक विकास है। मानसिक विकास में संवेदना प्रत्यक्षीकरण अधिगम, स्मरण, अवधान निरीक्षण, चिन्तन, तर्क, समस्या समाधान आदि शक्तियाँ आती हैं।
मानसिक विकास की प्रक्रिया जटिल होती है। इस जटिल प्रक्रियाओं के आधार पर किसी संकल्पना का निर्माण करना संभव नहीं है। अतः ये कुछ मानदण्ड है जिनसे मानसिक विकास पता चलता है। जिनमें मुख्य निम्नवत् है
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• बुद्धि में वृद्धि - बुद्धि का विकास कितने अंशों तक हुआ है, टर्मन ने अमूर्त चिन्तन की योग्यता को बुद्धि कहा है। बुद्धि के दो रूप होते हैं (1) आनुवंशिक सम्भाव्य योग्यता (2) अर्जित बुद्धि योग्यता ।
अ) बच्चों के विकास का ढंग ब) परिवेश तथा परिस्थितियाँ स) परिवेश में मनोवैज्ञानिक तथा सामाजिक परिस्थितियाँ द) मानसिक विकास का मूल्यांकन करने के लिए प्रयुक्त परिणाम का रूप ।
मानसिक क्रियाओं में वृद्धि मानसिक क्रियाओं में वृद्धि होने से ही मानसिक विकास का अनुमान लगाया जाता है। पन्द्रह वर्ष की आयु को मानसिक परिपक्वता का आधार मानकर बाकी वर्षों में मानसिक स्तर को पहचाना जाता है। प्रत्येक व्यक्ति की मानसिक वृद्धि की रोक विभिन्न आयु वर्षो में होने लगती हैं। मानसिक क्रियाओं की वृद्धि के ज्ञान के लिये (1) शब्द ज्ञान (2) उपमायें, ( 3 ) रिक्त पूर्ति, विपरीत शब्दों के परीक्षणों का उपयोग अधिक किया गया है।
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• भाषा विकास – मानसिक विकास का पता भाषा विकास से भी चलता है। भाषा के द्वारा ही अर्जित ग्राह्य शक्ति तथा नवीन क्रियाओं को सीखने की क्षमता विकसित होती है। प्रारंभिक वर्षों की अपेक्षा बाद के वर्षों में बालक जटिल वाक्य रचना तथा अधिक शब्दों को सीखता है।
संकल्पनात्मक विकास संकल्पना के निर्माण का महत्व मानसिक विकास की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण है। बाल्यावस्था तक बालक मांसपेशियों पर नियंत्रण तथा पदार्थों को देखने में स्थिरता को विकसित करता है। बालक जो कुछ भी चिंतन करता है, उसका आधार प्रत्यय है। वह जो देखता है, उसी पर विश्वास करता है। बुद्धि के विकास का आभास इस बात से भी चलता है कि बालक में किस प्रकार की संकल्पनायें विकसित होती है। इसी प्रकार दैनिक व्यवहार की संकल्पनायें बालक के
मानसिक विकास की धोतक है (अ) स्थान तथा दिशा का ज्ञान (ब) समय (स) संख्या एवं (द) संकल्पनाओं से बालक के मानसिक विकास का पता चला है।
मानसिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक -
निम्नांकित है -
1)विभिन्न कारक मानसिक विकास को प्रभावित करते हैं। उनमें से अधिक महत्वपूर्ण कारक वंशानुक्रम बालक वंशानुक्रम से कुछ मानसिक गुण और योग्यताएँ प्राप्त करता है जिनमें वातावरण किसी प्रकार का अन्तर नहीं कर सकता है। किसी व्यक्ति का उससे अधिक विकास नहीं हो सकता, जितना कि उनका वंशानुक्रम सम्भव बनाता है।
2 ) पवार का वातावरण परिवार के वातावरण का बालक के मानसिक विकास में घनिष्ठ संबंध है। एक अच्छा परिवार, जिसमें माता-पिता में अच्छे संबंध होते हैं, जिसमें वे अपने बच्चों की रूचियों और आवश्यकताओं को समझते हैं एवं जिसमें आनन्द एवं स्वतंत्रता का वातावरण होता है, प्रत्येक सदस्य के मानसिक विकास में अत्यधिक योग देता है।
3) परिवार की सामाजिक स्थिति उच्च सामाजिक स्थिति के परिवार के बालक का मानसिक विकास अधिक होता है। इसका कारण यह है कि उसको मानसिक विकास के जो साधन उपलब्ध होते हैं वे निम्न सामाजिक स्थिति के परिवार के बालक के लिए दुर्लभ होते हैं।
4) परिवार की आर्थिक स्थिति प्रतिभाशाली बालक दरिद्र क्षेत्रों से आने के बजाय अच्छी आर्थिक स्थिति वाले परिवारों से अधिक आते हैं इनका कारण यह है कि इन बालको को कुछ विशेष सुविधाएँ उपलब्ध रहती है, जैसे उचित भोजन, उपचार के पर्याप्त साधन, उत्तम शैक्षिक अवसर, आर्थिक कष्ट से सुरक्षा आदि ।