Rajapur: राजापुर के प्रमुख पर्यटन एवं धार्मिक स्थल rajapur chitrakoot

राजापुर (Rajapur) : भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के चित्रकूट ज़िले में स्थित राजापुर एक नगर है। यह यमुना नदी के किनारे बसा हुआ है। राजापुुुर पहुंचने हेतु कर्वी शहर के बस अड्डे सेे बस मिलती है। यहां पर गोस्वामी तुलसीदास का जन्म हुआ था, जिन्होंने श्रीरामचरितमानस, विनय पत्रिका आदि बहुत सी धार्मिक ग्रंथों की रचना की थी।


राजापुर (rajapur) की प्रसिद्धि गोस्वामी तुलसीदास जी (1532-1623 ई) से है| गोस्वामी जी ने श्री राम चरित मानस, हनुमान चालीसा, इत्यादि अनेकों दिव्य साहित्यिक उपहार हमें दिये हैं। उनका जन्म यहीं हुआ था। उत्तर प्रदेश के राजाापुर श्रीयमुना नदी के तट पर तुलसी मंदिर, श्री तुलसीदास जी की जन्मस्थली है|

 चित्रकूट धाम रेलवे स्टेशन से 38 किमी दूर है। गोस्वामी तुलसीदास का जन्मस्थान, जिन्होंने विश्व प्रसिद्ध श्री रामचरित मानस की रचना की थी। चित्रकूट से 42 किमी दूर, यह स्थान गोस्वामी तुलसीदास का जन्मस्थान माना जाता है। एक तुलसी मंदिर यहां स्थित है।

हमेशा से यही माना जा रहा हैं की तुलसी दास की जन्मस्थली यही है। यहां पर यमुना नदी बहती है जिसके घाट बहुत ही सुंदर हैं। राजापुर में गोस्वामी तुलसीदास जी की हस्तलिखित रामायण भी आप देख सकते है जिसे श्री रामचरित मानस के नाम से जाना जाता है।

यह स्थान एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो रहा है। यहां आपको तुलसी मंदिर, हस्तलिखित रामचरित मानस, श्री राम मंदिर, यमुना के सुंदर घाट, और शांतिप्रिय स्थान मिलेगा। यहां आपको यमुना के घाट पर जो सुख व शांति आपको मिलेगी शायद ही वह आपको और कही पर मिले। यहां पर आकर आप हस्तलिखित रामचरित मानस के दर्शन पाकर, श्री राम और तुलसी मन्दिर में जाकर यमुना के किनारे समय व्यतीत कर सकते है।

राजापुर(rajapur) में प्रवेश करते समय आपको एक सुंदर सा तुलसी स्मारक मिलेगा। जिसके अंदर प्रवेश करने पर आपको मंदिर मिलेगा यहां कई मूर्तियों को संजोकर रखा गया है। यहां पर एक बहुत बड़ा मैदान भी है जहां पर आप पेड़ों के बीच घूम भी सकते है। इसे राजापुर की ऐतिहासिक धरोहर भी माना जा सकता है। यह बहुत ही सुंदर स्थान है।

राजापुर में तुलसी स्मारक की स्थापना

अभिभूत तत्कालीन मुख्यमंत्री उप्र द्वारा लखनऊ में 1955 में ही मुख्यमंत्री की अनुशंसा पर तुलसी स्मारक समिति का गठन कर तुलसी की नगरी राजापुर में तुलसी स्मारक बनाने की आधारशिला 1957 में रखी गई जिसमें राजापुर के तुलसी अनुयायियों ने भी बढ़ चढ़कर सहयोग करते हुए तुलसी के स्मारक निर्माण के लिए 35 बीघे जमीन दान में दी जिसकी परिणति के रूप में 1960 में तुलसी की जीवंतता को संजोए रखने का प्रतीक बन कर उभरे इस तुलसी स्मारक का तत्कालीन मुख्यमंत्री उप्र सी वी गुप्ता ने उद्घाटन किया था।

राजापुर के संकटमोचन श्री हनुमान

राजापुर(rajapur) में आज श्री तुल्सीदास द्वारा स्थापित देवता को ही श्री संकट मोचन हनुमान के नाम से जाना जाता है। अभी हाल में ही मंदिर का पुनर्निर्मिण हुआ है। हाँलाकी मंदिर यमुना नदी के किनारे पर स्थित है, पर श्री तुलसीदासजी के जन्म स्थान तुलसीघाट से दूर है। राजापुर (rajapur)बस स्टैन्ड से दो किलोमीटर की दूरी पर, मेन बाजार से होते हुये यमुना नदी को जाने वाले रास्ते पर, श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर है। जैसे ही हम मंदिर परिसर में प्रवेश करते हैं, दाहिने तरफ श्री राम, सीता और लक्ष्मण की धर्मस्थल [सन्नति] है। ये धर्मस्थल [सन्नति] श्री संकट मोचन हनुमान के मुख्य गर्भगृह के सामने है।श्री संकटमोचन हनुमान के दर्शन पाने के लिये आपको कुछ सीढ़ीयाँ चढ़नी है, इस क्षैत्र के श्री हनुमान नन्दी गाँव के श्री हनुमान जैसे दिखते हैं। श्री संकट मोचन हनुमान हमेशा श्री रामचन्द्रजी को देख रहे हैं। यहां ऐसा लगता है कि श्री हनुमानजी श्री राम से मिलने वाले आशीर्वादों को अपने भक्तों पर निछावर कर देतें हैं। इस पवित्र स्थान पर पुजा करें और श्री रामचन्द्रजी एवं श्री हनुमानजी से आशीर्वाद पायें।

वृंदावन के सन्त राजापुर में प्रति वर्ष तुलसी महोत्सव मानते है।

महाकवि तुलसी की जीवंतता उनके रचनात्मक महाकाव्य रामचरित मानस के नाम के साथ जुड़ी हुई है और उनकी पावन जन्मभूमि राजापुर नगरी में अविस्मरणीय तुलसी जन्मोत्सव मनाने का संकल्प संजोए वृंदावन के एक संत ने महाकवि तुलसी की नगरी राजापुर में नगरवासियों के साथ भव्य समारोह आयोजन कर तुलसी जयंती को एक महोत्सव के रूप में मनाने का बीड़ा उठाया है 

विगत कई वर्षों से अपने हौसले के बल पर तुलसी की नगरी राजापुर में तुलसी जन्म कुटीर के प्रांगण में नव दिवसीय रामचरित मानस पाठ कराने एवं कथा प्रवचन कर तुलसी के अनुयायियों को भावविभोर कर महाकवि तुलसी की पावन जयंती को एक महोत्सव के रूप में मना कर फिर वापस अपने आश्रम वंशीवट वृंदावन धाम मथुरा वापस चले जाते हैं ।

ऐसे महापुरुष के द्वारा किए जा रहे अनूठे कार्य की पूरे राजापुर के साथ साथ सुदूर ग्रामीण अंचलों तक में भी बड़ी चर्चा हो रही है।उनका मानना है कि यह कार्य गोस्वामी तुलसीदास जी की पावन जन्मभूमि के महानुभाव कर रहे हैं साधुवाद के पात्र वे हैं

ॐ नमः शिवाय वंशीवट वृंदावन के सन्त रामदास जी महाराज गोस्वामी तुलसीदास जी की सोई हुई नगरी राजापुर में विगत वर्षों से जहां अपने अनूठे व्यक्तित्व के प्रभाव से इस नगरी के नागरिकों को जगाने का महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं वहीं इनके इस प्रयास से तुलसी नगरी राममय होते हुए एक सप्ताह तक मानस पाठ करने में तल्लीन हो रही है।

तुलसी दास जी के बारे में

गोस्वामी जी एक अभूतपूर्व लेखक-संत थे, और योगी भी। इन्होंने रामचरित मानस के अतिरिक्त कई बड़े बड़े ग्रंथो की रचना की है।उन्होंने अपने सुबह के व्यायाम को भी प्रभु की भक्ति में ही लीन रखा| वे प्रभु की स्तुति, चालीसा इत्यादि के पाठ से मन की शुद्धि एवं दण्ड बैठक इत्यादि से शरीर शुद्धि साथ ही कर लेते थे| शरीर को प्रभु भक्ति का साधन जानकर, वे दूसरों को भी शरीर एवं मन बलिष्ठ करने में मार्गदर्शन देते रहे| कहा जाता है कि उनके जीवनकाल में जब प्लेग महामारी ने वाराणसी को घेर रखा था, तब गोस्वामी जी ने अपने शिष्यों सहित, अपनी प्राणशक्ति को योग और आयुर्वेद के माध्यम से सुदृढ़ रखते हुये, प्रतिदिन बीमार और मृतकों की सेवा की| उन दिनों अखाड़े ही शारीरिक फिटनेस सेंटर हुआ करते थे, जहां उनके शिष्य नित्य दण्ड-बैठक इत्यादि का अभ्यास करते थे| उस समय, गोस्वामी जी अथवा उनके किसी भी शिष्य को प्लेग में पीड़ितों की सेवा के दौरान स्वयं कोई हानि नही हुई| 'हनुमत रक्षा करे प्राण की|'

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