Rajapur: खण्डहर में बदलते तुलसी स्मारक का आखिर क्यों नहीं हो रहा संरक्षण चित्रकूट न्यूज

All credit of this post is going on
हरी नारायण पाण्डेय

Rajapur Chitrakoot: हिंदी के महाकवि गोस्वामी तुलसीदास की जन्मभूमि तुलसी तीर्थ राजापुर में जिस गोस्वामी तुलसीदास जी की जीवंतता को संजोए रखने के लिए यह तुलसी स्मारक बनाया गया था वह उपेक्षा के कारण अब अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है ।



इस ऐतिहासिक धरोहर को जहाँ सँरक्षित रखने की नितांत आवश्यकता है लेकिन उपेक्षा के कारण यह स्मारक अब दिनों दिन खण्डहर में तब्दील हो रहा है यही नहीं इसके अन्दर दीवारों पर की गई बेशकीमती चित्रकारी व चित्रण भी अब अपनी चमक खोते जा रहे हैं वहीं छत एवं फर्श भी दरक कर धँस रही हैं लेकिन इस बेशकीमती स्थल को संरक्षित करने की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।


इस स्मारक बनाने के इतिहास की बात करें तो इसके निर्माण कार्य का कथानक कम दिलचस्प नहीं है इसके निर्माण कार्य करने के लिए बहुत कुछ समय एवं विद्वानों की एकरूपता महत्वपूर्ण भूमिका में रही है लेकिन आज इस स्थल की दुर्दशा को देख कर लगता है कि उनकी मेहनत पर पानी फिरता हुआ नजर आ रहा है
इसके निर्माण का उद्देश्य कदाचित यह था कि महाकवि तुलसी की याद में तुलसी की जन्मभूमि राजापुर(rajapur) में एक स्मारक का निर्माण कार्य कर तुलसी को जीवंत करते हुए इस स्मारक को तुलसी की रचनाओं के प्रचार प्रसार तथा उनकी रचनाओं में शोध कार्य करने की मंशा से आए हुए शोधकर्ताओं को तुलसी साहित्य सामग्री उपलब्ध कराने के लिए इसे संग्रहालय के रूप में परिणत किया जाए।


इसी मंशा से अभिभूत तत्कालीन मुख्यमंत्री उप्र द्वारा लखनऊ में 1955 में ही मुख्यमंत्री की अनुशंसा पर तुलसी स्मारक समिति का गठन कर तुलसी की नगरी राजापुर में तुलसी स्मारक बनाने की आधारशिला 1957 में रखी गई जिसमें राजापुर के तुलसी अनुयायियों ने भी बढ़ चढ़कर सहयोग करते हुए तुलसी के स्मारक निर्माण के लिए 35 बीघे जमीन दान में दी जिसकी परिणति के रूप में 1960 में तुलसी की जीवंतता को संजोए रखने का प्रतीक बन कर उभरे इस तुलसी स्मारक का तत्कालीन मुख्यमंत्री उप्र सी वी गुप्ता ने उद्घाटन किया था लेकिन तुलसी की याद में राजापुर में निर्मित यह ऐतिहासिक धरोहर आज 70 वर्ष बाद अपनी दुर्दशा के कारण आज उपेक्षित होकर खण्डहर में बदलती जा रही है लेकिन इस धरोहर को संरक्षित करने के लिए न तो तुलसी के अनुयायी आगे आ रहे हैं और न ही तुलसी स्मारक समिति के पदाधिकारियों का कुछ पता चल रहा है पुरातत्व विभाग द्वारा भी इस इमारत को बचाने के लिए कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है जो हैरान कर रही है

हाल ही में भारतीय जनता पार्टी के उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में दीपावली मनाई और महर्षि वाल्मीकि आश्रम लालापुर व चित्रकूट में आकर आरती की परन्तु महाकवि तुलसी की जन्मभूमि राजापुर तक नहीं आ सके।

महाकवि तुलसी अपनी ही जन्मभूमि राजापुर(rajapur) में अपने ही अनुयायियों के मध्य उपेक्षित दिख रहे हैं तुलसी के तथा कथित अनुयायी महाकवि तुलसी के नाम पर सिर्फ तमाशा नहीं तो फिर क्या कर रहे हैं विश्वप्रसिद्ध तुलसी को दुधारू गाय बनाकर अपनी तिजोरी भरते हुए अपनी दुकान चला रहे हैं 
विकास की उम्मीद मन में पाल बैठे संत तुलसी को अब तक सिर्फ छलावा ही मिला है तुलसी के लिए न तो तथाकथित भक्तों के मन में दृढ़ता दिख रही हैं और न ही सियासत के माहिर राजनेताओं में इच्छा शक्ति ही झलक रही है जिसकी वजह से तुलसी की याद में बना तुलसी स्मारक भी आज खंडहर में तब्दील होता दिख रहा है वहीं संत तुलसी के लगभग 526 वर्ष बीत जाने के बाद भी तुलसी की नगरी राजापुर (rajapur)आज भी विकास की राह देख रही है राजापुर (rajapur)के विकास के लिए सड़क से संसद तक न तो आवाज उठी और न ही तुलसी की नगरी में विरोध करने का दुस्साहस नजर आया

 तुलसी की जन्मभूमि राजापुर (rajapur)में तुलसी जयंती महोत्सव पर तुलसी स्मारक परिसर में मनाई जाने वाली तुलसी जयंती महोत्सव अब इतिहास बनता हुआ ज्यादा दिख रहा है 1955 से लेकर 2015 तक तो तुलसी की याद में गठित समिति के द्वारा खूब उल्लास के साथ कार्यक्रम करती रही जिसकी एक झलक देखने के लिए सुदूर क्षेत्रों से मानस मनीषी वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार आते रहे हैं लेकिन इधर समिति के त्रिकोणीय अंतर्द्वंद्व से लगभग कुछ वर्षों से सब बंद होता हुआ दिख रहा है
 जानकारों के अनुसार 2016 को रामभद्राचार्य द्वारा तुलसी स्मारक की तुलसी प्रतिमा में माल्यार्पण किया गया 2017 में तुलसी स्मारक समिति के अध्यक्ष जिला अधिकारी चित्रकूट तुलसी जयंती महोत्सव में तुलसी की नगरी राजापुर में आने की जरूरत ही नहीं समझी और आए ही नहीं तुलसी स्मारक समिति के पदाधिकारी लगभग 11:00 बजे तक इंतजार करते रहे तदुपरांत उपाध्यक्ष डॉ संतोष मिश्र व तुलसी के कुछ अनुयायियों ने तुलसी की प्रतिमा को माल्यार्पण कर चले गए वर्ष 2018 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के निधन पर राष्ट्रीय शोक घोषित होने से तुलसी स्मारक समिति ने शासनादेश के अनुपालन में तुलसी जयंती कार्यक्रम स्थगित कर दिया इसके बाद 2019 में सुषमा स्वराज के आकस्मिक निधन होने से तुलसी जयंती कार्यक्रम स्थगित रहा

यदि विगत कुछ वर्षों पूर्व की बात करें तो भाजपा सांसद भैरो प्रसाद मिश्रा ने तुलसी जयंती के कार्यक्रम में राजापुर आए और तुलसी स्मारक की तुलसी जयंती में प्रतिभाग भी किया कार्यक्रम के उपरांत लूप लाइन चौराहे में स्थापित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर तुलसी के अनुयायियों से वादा किया कि जल्द ही महाकवि की इस एकलौती प्रतिमा को सजाने संवारने का प्रयत्न किया जाएगा लेकिन इस वादे के कई वर्ष बीत जाने के बाद भी तुलसी को ना तो सिर ढकने के लिए छत नसीब हुई और न ही इस स्थल का कायाकल्प हो सका हालांकि इस दौरान वृंदावन के सन्त रामदास जी महाराज के प्रयास से तुलसी की प्रतिमा को बारिश एवं धूल व धूप से बचाने के लिए इस स्थल का सुंदरीकरण कराने का प्रयास किया गया लेकिन इस कार्य में भी तमाम व्यवधान उत्पन्न हुए
तुलसी स्मारक परिसर में आयोजित तुलसी जयंती के कार्यक्रम में अब जिले के लगभग सभी राजनीतिक दलों के राजनेताओं ने अपने आप को ही तुलसी एवं उनकी नगरी से अलग-थलग कर लिया है इस कार्यक्रम में वह शामिल ही नहीं होते हैं तुलसी की जयंती महोत्सव में राजनेताओं का प्रतिभाग नहीं करना अपने आप में बड़े सवाल खड़ा करता है और हैरान भी करता है जनता की आस्था से जुड़े हुए ऐसे महापुरुष राजनीतिक दिखावे की वस्तु नहीं होनी चाहिए और ना ही राजनेताओं को ऐसे कृत्य उनके द्वारा किए जाने चाहिए क्योंकि तुलसी स्मारक में मनाई जाने वाली तुलसी जयंती मुख्यमंत्री के नेतृत्व में बनी हुई तुलसी स्मारक समिति के द्वारा संचालित की जा रही थी और इसका गठन भी इसी मंशा के आधार पर किया गया है एवं मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश के निर्देशन में तुलसी स्मारक का शिलान्यास एवं उद्घाटन संपन्न हुआ है जिला प्रशासन की अध्यक्षता में गठित समिति अब तक तुलसी स्मारक की तुलसी जयंती कार्यक्रम अपने बैनर तले मनाती रही है और वहीं दूसरी ओर तुलसी स्मारक परिसर काफी देखरेख सुनिश्चित करती रही है लेकिन विगत वर्षों से जिला प्रशासन की उपेक्षा से तुलसी स्मारक खंडहर में तब्दील होता जा रहा है इस तुलसी स्मारक के मरम्मत एवं एवं जीवन उद्धार की जरूरत नहीं समझी जा रही है जो इस ऐतिहासिक इमारत की उपेक्षा दिखाती है वही इसके देखरेख की कोई कार योजना ना बनने से स्मारक समिति के विवाद में गिर जाने से अब ज्यादा परेशानी उत्पन्न हुई है देखना होगा की निकट भविष्य में इस ऐतिहासिक तुलसी स्मारक का क्या भविष्य होगा।
वृंदावन के सन्त मना रहे राजापुर में तुलसी महोत्सव

तुलसी नगरी के तुलसी अनुयायियों को कर रहे भावविभोर

By --हरी नारायण पाण्डेय 

महाकवि तुलसी की जीवंतता उनके रचनात्मक महाकाव्य रामचरित मानस के नाम के साथ जुड़ी हुई है और उनकी पावन जन्मभूमि राजापुर नगरी में अविस्मरणीय तुलसी जन्मोत्सव मनाने का संकल्प संजोए वृंदावन के एक संत ने महाकवि तुलसी की नगरी राजापुर(rajapur) में नगरवासियों के साथ भव्य समारोह आयोजन कर तुलसी जयंती को एक महोत्सव के रूप में मनाने का बीड़ा उठाया है 
विगत कई वर्षों से अपने हौसले के बल पर तुलसी की नगरी राजापुर (rajapur)में तुलसी जन्म कुटीर के प्रांगण में नव दिवसीय रामचरित मानस पाठ कराने एवं कथा प्रवचन कर तुलसी के अनुयायियों को भावविभोर कर महाकवि तुलसी की पावन जयंती को एक महोत्सव के रूप में मना कर फिर वापस अपने आश्रम वंशीवट वृंदावन धाम मथुरा वापस चले जाते हैं 
ऐसे महापुरुष के द्वारा किए जा रहे अनूठे कार्य की पूरे राजापुर के साथ साथ सुदूर ग्रामीण अंचलों तक में भी बड़ी चर्चा हो रही है 
हालांकि यह महापुरुष मीडिया के सामने आने एवं फोटो खिंचवाने तथा आयोजन के संदर्भ में बातचीत करने से सादर अनुरोध करते हुए दूर रहने का मन्तव्य जताने की पुरजोर कोशिश करते रहे हैं 
उनका मानना है कि यह कार्य गोस्वामी तुलसीदास जी की पावन जन्मभूमि के महानुभाव कर रहे हैं साधुवाद के पात्र वे हैं

ॐ नमः शिवाय वंशीवट वृंदावन के सन्त रामदास जी महाराज गोस्वामी तुलसीदास जी की सोई हुई नगरी राजापुर में विगत वर्षों से जहां अपने अनूठे व्यक्तित्व के प्रभाव से इस नगरी के नागरिकों को जगाने का महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं वहीं इनके इस प्रयास से तुलसी नगरी राममय होते हुए एक सप्ताह तक मानस पाठ करने में तल्लीन हो रही है
वहीं दूसरी ओर तुलसी के साहित्य के प्रचार प्रसार हेतु जिस तुलसी स्मारक समिति का गठन किया गया था उसके बिल्कुल निष्क्रिय होने से तुलसी के अनुयायियों में आक्रोश पनप रहा है 
इस समिति के द्वारा तुलसी स्मारक परिसर में तुलसी की जयंती विगत कई दशकों से मनाई जाती रही है लेकिन विगत वर्षों से यह समिति तुलसी की जयंती के नाम पर सिर्फ छलावा कर रही है तीन साल तक यहां सभी कार्यक्रम स्थगित रहे इस दौरान यहां सिर्फ रामचरितमानस पाठ होता रहा और पाठ समाप्ति के उपरांत तुलसी की प्रतिमा को माल्यार्पण कर कार्यक्रम समाप्त कर दिया जाता था
 इस वर्ष तुलसी स्मारक परिसर में तुलसी जयंती कार्यक्रम के आयोजन में कुछ बदलाव आया है इस बार यह हुआ है कि रामचरित मानस पाठ करने की शुरुआत ( एक दिन पूर्व में )प्रमोद झा उपजिलाधिकारी राजापुर पुष्पेन्द्र सिंह गौतम नायब तहसीलदार राजापुर एवं सभ्रांत नागरिकों की मौजूदगी में रामचरित मानस पूजन किया गया इसके बाद अखण्ड मानस पाठ शुरू किया गया तदुपरान्त (दूसरे दिन अर्थात आज) मानस समाप्ति पर हवन पूजन कर तुलसी की याद में तुलसी स्मारक परिसर के सभागार में विभिन्न विद्यालयों की छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया इस दौरान उपजिलाधिकारी राजापुर (rajapur)एवं चेयरमैन नगर पंचायत राजापुर के द्वारा प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया

इस तरह इस वर्ष तुलसी जयंती समारोह तुलसी प्रतिमा में फूल माल्यार्पण से सम्पन्न हुआ 

लेकिन इस वर्ष भी तुलसी स्मारक की रँगाई पुताई नहीं कराई जा सकी 
इस स्मारक को देखने पर यही लगता है कि यह तुलसी की धरोहर दिनों दिन खंडहर में तब्दील होती जा रही है विदित हो कि इस स्मारक का निर्माण 1957 के आस- पास शुरू हुआ था जो 1960 में बनकर तैयार हुआ और इसका उद्घाटन उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री के द्वारा किया गया था तुलसी स्मारक समिति के अध्यक्ष जिला अधिकारी चित्रकूट उपाध्यक्ष डॉ संतोष कुमार मिश्र तथा सचिव उप जिला अधिकारी मऊ हैं लेकिन उपेक्षा ऐसी है कि जिसके चलते आज यह महाकवि तुलसी का स्मारक खण्डहर में परिसर कांप्लेक्स एवं शौचालय में तब्दील होता ज्यादा दिख रहा है 
यहां की दुर्दशा देख तुलसी अनुयायी भी अचंभित हैं कि यह स्मारक क्या सचमुच महाकवि तुलसी की याद को जीवंत रखने के लिए ही बनाया गया है

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने